उत्तम चरित्र निर्माण के लिए ब्रम्हमुहूर्त जागरण, दैनिक संध्या-सूर्योपासना, योगाभ्यास, गौसेवा, यज्ञ एवं वेदपाठ ।
वेदविज्ञान की भाषा संस्कृत के साथ ही हिन्दी और अंग्रेजी में बोल-चाल दैनिक जीवन का अभिन्न अंग ।
प्रतिदिन व्यक्तिगत एवं सामूहिक स्तोत्रादि का गायन, वाद्ययंत्रों का अभ्यास और घोष वादन ।
मलखम्भ, कुश्ती, तीरंदाजी एवं पारम्परिक खेलों के साथ-साथ प्रतिदिन सूर्यनमस्कार, आसन, प्राणायाम, ध्यान और योग साधना ।